भीमाबाई रामजी सकपाल या भीमाबाई अंबेडकर। वह बाबासाहेब अम्बेडकर की माँ और सूबेदार रामजी अम्बेडकर की पत्नी थीं। उनके पिता लक्ष्मण मुरबादकर मराठा रेजिमेंट में सूबेदार थे और बाद में १०६ सैपर एंड माइनर्स में थे।
ईस १८६७ में, १३ साल की उम्र में, भीमाबाई ने ठाणे जिले के मुरबाद में १९ वर्षीय रामजी सकपाल से शादी की। ई. स १८६६ के आसपास, रामजी ब्रिटिश सेना की १०६ वीं सैपर्स और माइनर्स रेजिमेंट में भर्ती हुए। भीमाबाई के पिता मुरबाद के निवासी थे और ब्रिटिश सेना में एक सूबेदार थे।
१८९१ तक, रामजी और भीमाबाई के चौदह बच्चे थे। इनमें से चार लड़कियां गंगा, रमा, मंजुला और तुलसा बच गईं। बच्चों में बाळाराम, आनंदराव और भीमराव जीवित थे। भीमराव सबसे छोटा और चौदहवाँ बच्चा था। १८८८ में, वह मध्य प्रदेश के महू में एक सैन्य अड्डे पर आए। यहाँ सुभेदर रामजी को एक सामान्य स्कूल के प्रधानाध्यापक का पद मिला था। बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म १४ अप्रैल१८९१ को महू के एक सैन्य शिवर में हुआ था। भीमराव रामजी सकपाल और माता भीमाबाई के १४ वें और अंतिम बच्चे थे। बच्चे का नाम 'भीवा' रखा गया और उसके नाम भीम, भीम और भीमराव लोकप्रिय हो गए। अंबेडकर का परिवार महार जाति का था, जिसे तब अछूत (दलित) माना जाता था, और वह महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मांडनगढ़ तालुका के अंबाडवे गाँव के थे। ई.स १८९४ में, सूबेदार रामजी सकपाल ब्रिटिश सेना के हेडमास्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए और अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में अपने पैतृक गाँव के पास एक गाँव कैम्प दापोली में चले गए। रामजी ने ई स १ ९९ ६ में दापोली को अपने परिवार के साथ छोड़ दिया और सातारा में बस गए। भीमाबाई की मृत्यु ई.स १८९६ में हुई।
आज १४ फरवरी २०२१ को माता भीमाबाई सपकाळ की १६७ वी जयंती है। उनकी समाधी सातारा (महा.) में है उनकी समाधी पिछले ५ सालो से काम चालु है पर अब तक समाधी का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। उनकी समाधी पर जब हमारी टीम पहुंची तो वह पर सिर्फ ३-४ इटे और कुछ ५-६ दो-तीन फुट के पत्थर रखे हुए है साथ ही वहां पर १ हार भी है जो लगभग ४-११ महीनो पहले किसीने रखा था। आजु-बाजू में कुछ सफाई नहीं थी वहा आस पास कुत्ते तथा गाय सोये हुए थे।
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